यह अपराध, राजनीति, आरोप-प्रत्यारोप, घपले-घोटाले या धर्म-अध्यात्म की खबर नहीं है… यह सट्टा, जुआ, और शराब की खबर भी नहीं है… आप पढ़ेंगे क्या...?
खबर की हेडिंग और इंट्रो परम्परागत खबरों से थोड़ा इतर है, क्योंकि यह खबर एक मर चुकी नदी को फिर जिंदा करने की कवायद से जुड़ी है खबर। यह खबर है उस शहर की जिसे कभी दो नदियों वाला शहर कहे जाने पर गर्व था।
यह 45 बरस पहले दो दर्जन गांवों के खेतों को तर करने वाली एक नदी की खबर है। अपनी आंखों के सामने एक 'मां' को पल-पल घुटते-मरते देख चुके उन उम्रदराज लोगों की खबर है, जिन्होंने अपनी युवावस्था और जवानी में इसमें गोते लगाए थे। यह जनप्रतिनिधियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, संगठनों और अफसरों के साझा व सकारात्मक प्रयासों की खबर है।
अब खबर है तो खबर बनेगी और छपेगी भी। मुझे लगता है आपको पढ़ना चाहिए। क्योंकि आप अपने बच्चों को गर्व से यह बता सकेंगे कि यह नदी आपकी आंखों के सामने फिर 'जिंदा' हुई है। अपेक्षा बस इतनी भर है कि जब आप अपने लाड़ले, लाडो को नदी की कहानी बताएं तो आपका सीना गर्व से भर जाना चाहिए, होंठों पर मुस्कान तैर जानी चाहिए। और यह तब होगा, जब आप भी अपने नागरिक होने का कर्तव्य निभाएंगे, नदी के शुद्धिकरण में अपना भरपूर योगदान देंगे।
चलिए अब शुरू करते हैं...
यह अतरंगी खबर भोपाल से 105 किलोमीटर दूर दिल्ली-मुंबई रेल मार्ग पर बसे
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