जर्मनी में ज्यादातर नदियां शांति और सुकून से बहती हैं. उनके किनारे आबादी बसी है. लेकिन बदलता मौसम इन नदियों को भविष्य के एक डरावने सपने में बदल रहा है.
हरी भरी पहाड़ियों के बीच सर्पीले रास्ते पर आगे बढ़ती आर नदी. सूखे के मौसम में आर का पानी घुटनों तक भी नहीं पहुंचता है. जर्मनी के पश्चिमी इलाके में मोजेल की इस सहायक नदी के किनारों को सुकून भरी छुट्टियों के लिए जाना जाता रहा. गर्मियों में आर घाटी में बसे गांव मेहमानों के सामने अपनी वाइन पेश करते थे. हर जगह प्रकृति का आनंद लेते साइकिल सवार मिल जाते थे.
लेकिन 14-15 जुलाई 2021 को यह तस्वीर पूरी तरह बदल गई. कुछ घंटों के भीतर हुई भारी बारिश ने 85 किलोमीटर लंबी आर को एक गुस्सैल नदी में बदल दिया. बीते 200-300 बरसों में उसके किनारे बनाई गई कई इमारतें भरभराकर गिरने लगीं. करीबन 72 घंटे के बाद आर फिर से पूरी तरह शांत हो गई, लेकिन तब तक इंसानी नक्शे पर मौजूद कई घर, पुल और रेलवे स्लीपर साफ हो चुके थे. कम से कम 135 लोगों की मौत हुई और अरबों यूरो की संपत्ति को नुकसान पहुंचा. आर ने जता दिया कि एक पतली धार जैसी नदी भी अपने पुराने रास्ते खोजने के लिए कितनी बेताब हो सकती है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि राइन और उसकी सहायक नदियों के किनारे बसे 1,90,800 लोग बाढ़ के दायरे में हैं. वहीं एल्बे नदी के किनारे बसे 98,800 लोग बाढ़ के अत्यधिक खतरे का सामना कर सकते हैं. यह स्ट्डी जर्मनी की गठबंधन सरकार में शामिल ग्रीन पार्टी के संसदीय दल ने कराई. शोध में जर्मनी के सभी 16 राज्यों के बाढ़ प्रबंधन तंत्र की समीक्षा भी की गई है.
यूएफयू के रिसचर्रों के मुताबिक, "बेहिसाब बारिश की चेतावनी बहुत ही शॉर्ट नोटिस पर दी जा सकती है, ऐसे में मौसम पर नजर रखने वाले तंत्र और पूर्वानुमान बताने वाले सिस्टम का लगातार विकास करना जरूरी बना हुआ है."
फरवरी 2024 में जर्मन इंश्योरेंस एसोसिएशन (जीडीवी) ने भी ऐसी ही स्ट्डी करवाई थी. उस शोध में कहा गया कि जर्मनी में तीन लाख से ज्यादा ऐसी इमारतें है जो बाढ़ के दायरे में हैं.
Nov 14 2024